रुको नहीं, थको नहीं, किसी से तुम झुको नहीं.

मई 02, 2012


रुको नहीं, थको नहीं, किसी से तुम झुको नहीं.


दिक्कतें हज़ार हो,
मुश्किलों का पहाड़ हो.
बन कर रोशनी तुम,
मोड़ दो अँधेरे का मुँह.
रुको नहीं, थको नहीं, किसी से तुम झुको नहीं.
लोग कहेंगे, कहते रहेंगे,
कुछ ना करने वाले सिर्फ बात करेंगे.
धार लगा अपनी हिम्मत को,
मान से लगा आग सबके अभिमान को.
रुको नहीं, थको नहीं, किसी से तुम झुको नहीं.
रगों में दौड़ते लहू को तुम इतनी ताप दो,
गर खड़े हो भीड़ में तो चमक सूरज के समान हो.
तूफ़ान भी ना कर पायेगा अँधेरा,
जब इरादे फौलाद हो.
रुको नहीं, थको नहीं, किसी से तुम झुको नहीं.
हार के डर जिसने दौड़ना ही छोड़ दिया,
मैदान देखने से पहले हार से वो हार गया.
जीतते हैं वो हमेशा जो करते प्रयास हैं,
हर सफल कहानी के पीछे असफलता का इतिहास है.
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