प्रेमी प्रेमिका का मेल और बस में खेल

अप्रैल 15, 2010

प्रेमी प्रेमिका का मेल और बस में खेल

आज का और कल का पूरा दिन मस्त था । ज्यादा काम भी नहीं था और ज्यादा आराम भी नहीं था । सांस ले भी सकता था और छोड़ भी । पूरा दिन ऑफिस की मातापच्ची में गुजर गया । फिर आज मेरी खुमारी भी उतर चुकी थी । तो दिमाग अपनी पूरी रफ्तार पर दौड रहा था । आज मैं अपने आपको कुछ ज्यादा ही एक्टिव महसूस कर रहा था । जैसे कुछ ज्यादा ही शक्ति वाली गोलिया खा ली हो । ऑफिस से निकला तो आज रफ़्तार भी ज्यादा थी । कदमो ने समय से पहले स्टैंड पर पंहुचा दिया । आज कुछ चेहरे नए और पुराने थे । वो खैनी वाला बंदा आज फिर दिखाई दिया । उसकी मुझे एक अदा बड़ी अच्छी लगती है की उसको दुनिया की कोई चिंता नहीं है । वो बस अपनी उँगलियों को अपनी हथेली पर मलता है और उसकी सारी चिंताए दूर होती हुई लगती है । और लगता है वो खैनी से समाधी को ओर जाता हुआ लगता है । ओर लगता है की हर बार उसे मोक्ष की प्राप्ति हो गयी । बस आ चुकी थी ओर में बस के अंदर था । आज का द्रश्य थोडा अलग था । बस के कोने में १ प्रेमी ओर प्रेमिका दुनिया को पूरी तरह से ठेंगा दिखाते हुए इश्क करने में मशगूल थे । उनको इसकी खबर ही नहीं होगी की कल कोई ब्लॉगर उनके बारे में लोंगो को बता भी सकता है । टिकेट ले कर मेरा सौभाग्य उनके पास जाने का हुआ । उनकी बात बड़ी ही मनोरम थी । उनको एस बात का कोई मलाल नहीं था की वो एक सार्वजनिक बस में जिसमे वो एक गैर सार्वजनिक हरकत कर रहे है । पर किसी ने कहा है की प्यार अंधा होता है । पर मुझे व्यत्गित रूप से लगता है की प्यार करने के बाद इंसान अंधा हो जाता है । उसको कुछ खबर नहीं होती दुनिया की ।  खबर होती है अपनी प्रेमिका की हर छोटी बड़ी चीज़ । उसे वो भूल नहीं सकता चाहे वो अपने घरवालों की दवाई भूल जाये उसे उसका मलाल नहीं होगा पर प्रेमिका की कोई चीज़ अगर भुला तो वो यही कहेगा हे भगवान मुझे उठा ले । पर ऐसा वो घर के लिए नहीं कहेगा । खैर उनमे बस कुछ ही चीज़ की कमी थी वर्ना उन्होंने तो उसे पूरा अपना घर ही समझ लिया था जिसमे कोई नहीं था । हालाँकि देखने वालों को फ्री में शो देखने को मिल रहा था वो स्थिति कुछ विचित्र थी । मेरे ख्याल से मेरे ओर कुछ ओर लोंगो के लिए व् मैं ये नहीं कहता की मैं ढूढ़ का धुला हू पर हाँ पानी से जरूर सुबह खुद को धो लेता हूँ । मेरा उनमे एक बात को ले कर संदेह हो रहा था की उन्होंने क्या खाया ओर पीया होगा जो उनको सब्र नहीं था व् वो एक दूसरे को बड़े ही प्रेम से आलिंगन करते , ओर भी कुछ कुछ करते पर लिखने में उनका बयां नहीं कर सकता था । हालाँकि दिल्ली बड़ी अच्छी अच्छी जगह है इस तरह के प्रेम को व्यक्त करने  की पर उन्होंने बस का चुनाव क्यों किया ये संदेह से भरा है । क्या उनके पास पैसे को कमी रही होगी ? पर शक्ल सूरत से तो ठीक थक घर के लगते है । या इसके पिछे कोई गूढ़ कारण  रहा होगा । इसका मुझे पता करने की बड़ी जिज्ञासा थी । आजकल मोबाइल फोन के होने कारण हर सस्ते से सस्ते फोन में कैमरा आने लगा है जिसका फायदा कल १-२ ने उठाने की कोशिश की पर ये कोशिश प्रेम के चहेतों ने पूरी नहीं होने दि ओर उनको मन कर दिया । मुझे ये लगता है की अगर उनको सीट न मिली होती तो क्या फिर भी वो ऐसा करते या फिर न करते । क्या ये सीट का खेल था या प्रेम का मेल था । हालाँकि ये मेल और फिमेल का खेल था जिसे पूरी बस ने सजीव देखा और मेरे ख्याल से ये उनके रात में दुर्स्वपन बन कर जरूर आया होगा । मेरा स्टॉप आ गया था पर उनका नहीं । उनका खेल अब सेमिफाइनल पार कर चुका था ।

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5 टिप्पणियाँ

  1. प्यार अंधा होता है। अब तो वैसे भी जमाना काफी बदल गया है। यदि कोई बस में प्यार को बस नहीं कर रहा तो समझ लीजिए उसका प्यार अभी अभी परवान चढ़ रहा है। अजी हम तो यही कहेंगे प्यार करने वालों को प्यार करने दीजिए। प्यार से खूबसूरत चीज इस दुनिया में क्या है भला।

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  2. वाह
    फ़ाइनल्स में भी जायेगे
    विजेता भी बनिये

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  3. bahut sundar

    acha laga pad kar

    shekhar kumawat

    http://kavyawani.blogspot.com/

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  4. किसी ने कहा है की प्यार अंधा होता है । पर मुझे व्यत्गित रूप से लगता है की प्यार करने के बाद इंसान अंधा हो जाता है । उसको कुछ खबर नहीं होती दुनिया की । खबर होती है अपनी प्रेमिका की हर छोटी बड़ी चीज़ । उसे वो भूल नहीं सकता चाहे वो अपने घरवालों की दवाई भूल जाये उसे उसका मलाल नहीं होगा पर प्रेमिका की कोई चीज़ अगर भुला तो वो यही कहेगा हे भगवान मुझे उठा ले । पर ऐसा वो घर के लिए नहीं कहेगा ।
    ....Pyaar aajkal itna sasta ho gaya hai ki uske mayane badalte jaa rahen hai.. aaj jahan dekho esi tarh ke najare dekhne ko mil jaate hain.... kaun samjhay aaj ki peedhi ko.kaum samjhaye inhe ki pyar sirf guda gudiyaon ka khel nahi... yah to har us saksh se judha hota hai jo dukh-sukh mein apne ghar pariwar hi nahi har jagah kaam aata hai....
    Bahut achha chitran... keep up it....

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